ज्ञानमार्गी शाखा के कवि कौन है
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ज्ञानमार्गी शाखा के कवि और उनकी रचनाएँ
कबीर दास : इनका मूल ग्रंथ बीजक है । इसके तीन भाग हैं : पहला भाग साखी है, जिसमें दोहे हैं । दूसरे भाग में शब्द हैं जो गेयपद हैं । तीसरा भाग रमैनी का है जिसमें सात चौपाई के बाद एक दोहा आता है ।
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ज्ञानमार्गी शाखा के कवि : कबीरदास, नानक, रैदास, दादूदयाल, सुंदरदास और मलूकदास l
- इन सभी कवियों में कबीर दास जी ज्ञानमार्गी शाखा के प्रमुख माने जाते हैं l
- इस शाखा के भक्त-कवि निर्गुणवादी थे और नाम की उपासना करते थे। वे गुरु को बहुत सम्मान देते थे और जाति-पाति के भेदों को नकारते थे। वे व्यक्तिगत अभ्यास पर बल देते थे।
- वह झूठे दिखावों और रीति-रिवाजों का विरोध करता था। लगभग सभी संत अनपढ़ थे लेकिन अनुभव के धनी थे। लगभग सभी सत्संगी थे और उनकी भाषा में अनेक बोलियों का मिश्रण मिलता है, इसलिए इस भाषा को 'साधुक्कड़ी' कहा गया है।
- इन संतों की बातों का आम लोगों पर जबरदस्त प्रभाव पड़ा है।
- ज्ञानमार्गी शाखा की विशेषता –
1- ज्ञान को भक्ति का आधार मानना- इस युग के कवि ज्ञान को अधिक महत्व देते हैं।
2- आत्मा और परमात्मा को एक मानना-कवि अपने को आत्मा और निराकार परमात्मा को परमात्मा मानता है।
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