Hindi, asked by Anonymous, 3 months ago

जापान ने ऐसी क्या विजय प्राप्त की , कि वह संसार की सभ्य जातियों में गिना जाने लगा ?

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Answered by kajaly25308
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Answer:

जापान के प्राचीन इतिहास के संबंध में कोई निश्चयात्मक जानकारी नहीं प्राप्त है। जापानी लोककथाओं के अनुसार विश्व के निर्माता ने सूर्य देवी तथा चन्द्र देवी को भी रचा। फिर उसका पोता क्यूशू द्वीप पर आया और बाद में उनकी संतान होंशू द्वीप पर फैल गए। हँलांकि यह लोककथा है पर इसमें कुछ सच्चाई भी नजर आती है ।

पौराणिक मतानुसार जिम्मू नामक एक सम्राट् ९६० ई. पू. राज्यसिंहासन पर बैठा और वहीं से जापान की व्यवस्थित कहानी आरंभ हुई। अनुमानत: तीसरी या चौथी शताब्दी में 'ययातों' नामक जाति ने दक्षिणी जापान में अपना आधिपत्य स्थापित किया ५ वीं शताब्दी में चीन और कोरिया से संपर्क बढ़ने पर चीनी लिपि, चिकित्साविज्ञान और बौद्धधर्म जापान को प्राप्त हुए । जापानी नेताओं शासननीति चीन से सीखी किंतु सत्ता का हस्तांतरण परिवारों तक ही सीमित रहा। ८वीं शताब्दी में कुछ काल तक राजधानी नारा में रखने के बाद क्योटो में स्थापित की गई जो १८६८ तक रही ।'मिनामोतो' जाति के एक नेता योरितोमें ने ११९२ में कामाकुरा में सैनिक शासन स्थापित किया। इससे सामंतशाही का उदय हुआ, जो लगभग ६०० वर्ष चली। इसमें शासन सैनिक शक्ति के हाथ रहता था, राजा नाममात्र का ही होता था ।

१२७४ और १२८१ में मंगोल आक्रमणों से जापान के तात्कालिक संगठन को धक्का लगा, इससे धीरे धीरे गृहयुद्ध पनपा। १५४३ में कुछ पुर्तगाली और उसके बाद स्पेनिश व्यापारी जापान पहुँचे । इसी समय सेंट फ्रांसिस जैवियर ने यहाँ ईसाई धर्म का प्रचार आरंभ किया।

१५९० तक हिदेयोशी तोयोतोमी के नेतृत्व में जापान में शांति और एकता स्थापित हुई। १६०३ में तोगुकावा वंश का आधिपत्य आरंभ हुआ, जो १८६८ तक स्थापित रहा। इस वंश ने अपनी राजधानी इदो (वर्तमान टोक्यो) में बनाई, बाह्य संसार से संबंध बढ़ाए और ईसाई धर्म की मान्यता समाप्त कर दी। १६३९ तक चीनी और डच व्यापारियों की संख्या जापान में अत्यंत कम हो गई। अगले २५० वर्षो तक वहाँ आंतरिक सुव्यवस्था रही। गृह उद्योगों में उन्नति हुई।

१८८५ में अमरीका के कमोडोर मैथ्यू पेरो के आगमन से जापान बाह्य देशों यथा अमेरिका, रूस, ब्रिटेन और नीदरलैंडस की शांतिसंधि में समिलित हुआ। लगभग १० वर्षो के बाद दक्षिणी जातियों ने सफल विद्रोह करके सम्राटतंत्र स्थापित किया, १८६८ में सम्राट मीजी ने अपनी संप्रभुता स्थापित की।१८९४-९५ में कोरिया के प्रश्न पर चीन से और १९०४-५ में रूस द्वारा मंचूरिया और कोरिया में हस्तक्षेप किए जाने से रूस के विरुद्ध जापान को युद्ध करना पड़ा। दोनों युद्धों में जापान के अधिकार में आ गए। मंचूरिया और कोरिया में उसका प्रभाव भी बढ़ गया।

प्रथम विश्वयुद्ध में सम्राट् ताइशो ने बहुत सीमित रूप से भाग लिया। इसके बाद जापान की अर्थव्यवस्था द्रुतगति से परिवर्तित हुई। उद्योगीकरण का विस्तार किया गया।

१९३६ तक देश की राजनीति सैनिक अधिकारियों के हाथ में आ गई और दलगत सत्ता का अस्तित्व समाप्त हो गया। जापान राष्ट्रसंघ से पृथक् हो गया । जर्मनी और इटली से संधि करके उसने चीन पर आक्रमण शुरू कर दिया। १९४१ में जापान ने रूस से शांतिसंधि की। द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद अगस्त, १९४५ में जापान ने मित्र राष्ट्रो के सामने विना शर्त आत्मसमर्पण किया। इस घटना से सम्राटजो अब तक राजनीति में महत्वहीन थे, पुनः सक्रिय हुए। मित्र राष्ट्रों के सर्वोच्च सैनिक कमांडर डगलस मैकआर्थर के निर्देश में जापान में अनेक सुधार हुए। संसदीय सरकार का गठन, भूमिसुधार, ओर स्थानीय स्वायत्त शासन निकाय नई शासन निकाय नई शासनव्यवस्था के रूप थे। १९४७ में नया संविधान लागू रहा। १९५१ में सेनफ्रांसिस्को में अन्य ५५ राष्ट्रों के साथ शांतिसंधि में जापान ने भी भाग लिया। जापान ने संयुक्त राज्य अमरीका के साथ सुरक्षात्मक संधि की जिसमें जापान को केवल प्रतिरक्षा के हेतु सेना रखने की शर्त थी। १९५६ में रूस के साथ हुई संधि से परस्पर युद्ध की स्थिति समाप्त हुई। उसी वर्ष जापान संयुक्त राष्ट्रसंघ का सदस्य हुआ।

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