जी. पी. श्रीवास्तव किस युग के नाटककार हैं ?
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श्रीवास्तव का जन्म सन् १८९० में हुआ था। हास्य इनकी कृतियों का प्रधान रस है। ये प्रेमचंदयुगीन उपन्यासकारों में से एक हैं।
Explanation:
उनका पूरा नाम गंगा प्रसाद श्रीवास्तव अन्य नाम गंगा बाबू
जन्म 23 अप्रैल, 1889 ई.
जन्म भूमि सारन, बिहार
मृत्यु 30 अगस्त, 1976 ई.
कर्म-क्षेत्र साहित्यकार मुख्य रचनाएँ 'लम्बी दाढ़ी' (1913 ई.), 'नाक झोक' (1919 ई.) आदि।
साहित्यिक परिचय:
हिन्दी उपन्यास के इतिहास में उनकी हास्यपरक शैली है और उनके सन्दर्भ में गोपाल राय कुछ इस प्रकार लिखते हैं कि- "जी. पी. श्रीवास्तव ने सामाजिक और व्यक्तिगत असंगतियों को हास्य का आधार बन दिया है, पर उनके हास्य में व्यावहारिक विनोद और आंगिक-वाचिक खिलवाड़ की प्रधानता भी मिलती हैै..
उपन्यास:
महाशय भड़ामसिंह शर्मा(१९१९)लतखोरी लाल(१९३१)विलायती उल्लू(१९३२)स्वामी चौखटानन्द(१९३६)प्राणनाथ(१९२५)गंगाजमुनी(१९२७)दिल की आग उर्फ दिल जले की आह(१९३२)उपरोक्त सभी उनकी कुछ कृतियाँ है।
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