जॉर्ज पंचम की नाक निबंध का उद्देश्य स्पष्ट कीजिए
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जार्ज पंचम की नाक का सरल शब्दों में अर्थ ले तो यह एक व्यक्ति के बारे में है, जिसका नाम जार्ज पंचम है। पाठ में उसकी नाक के बारे में बात की जा रही है। मगर यदि लेखक की दृष्टि से देखें, तो यह एक व्यंग्य है कि भारत में जार्ज पंचम के आने पर भारतीय शासन व्यवस्था जो कार्य कर ही थी, वह शर्मनाक था।
इस पाठ में अंग्रेजी राज के प्रति रोष तथा तिरस्कार प्रकट करने के लिए लेखक ने जॉर्ज पंचम की नाक को काट दिया है। नाक मान-सम्मान का प्रतीक होती है। भारत में अंग्रेज़ों के अत्याचारों के कारण भारतीय उनसे घृणा करते थे। इसी घृणा तथा ब्रिटिश शासन के प्रति लोगों के असम्मान को प्रकट करने के लिए जॉर्ज पंचम की नाक को काट दिया गया था।
इससे यह शिक्षा मिलती है कि आजाद तो हम हो चुके हैं लेकिन अभी भी दिल्ली को संभालने वाले लोग अंग्रेजों के मानसिक रूप से गुलाम हैं। हमें इस गुलामी से स्वयं को स्वतंत्र करना होगा
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जॉर्ज पंचम की नाक पाठ का उद्देश्य यह है कि अंग्रेजी हुकूमत से आजादी मिलने के बाद भी सत्ता से जुड़े विभिन्न प्रकार के लोगों की औपनिवेशिक दौर की मानसिकता और विदेशी आकर्षण पर गहरी चोट करना है।