Hindi, asked by tanishqtanwar, 4 months ago

जॉर्ज पंचम की नाक' नामक पाठ में भारतीय अधिकारियों, मंत्रियों और
कार्यालयी कार्य प्रणाली पर कठोर व्यंग्य किया गया है। इसे स्पष्ट कीजिए।

Answers

Answered by sharmakiransh
6

Answer:

जॉर्ज पंचम की नाक’ नामक पाठ व्यंग्य प्रधान रचना है। इसमें जॉर्ज पंचम की टूटी नाक को प्रतिष्ठा बनाकर मंत्रियों एवं सरकारी कार्यालयों की कार्यप्रणाली पर करारा व्यंग्य किया गया है। एलिजाबेथ के भारत आगमन पर राजधानी में तहलका मचने, अफसरों और मंत्रियों के परेशान होने की स्थिति देखकर यही लगता है कि जैसे आज भी हम अंग्रेजों के गुलाम हों। देश के सम्मान से सरकारी कर्मचारियों का कुछ लेना-देना नहीं होता है। यदि उनकी स्वार्थपूर्ति हो रही हो तो वे देश के सम्मान को ठेस पहुँचाने में जरा-सा भी संकोच नहीं करते हैं। येन-केन प्रकारेण स्वार्थ सिधि ही उनका उद्देश्य बनकर रह गया है

Answered by divyanshM
0

Answer:

‘जॉर्ज पंचम की नाक’ नामक पाठ व्यंग्य प्रधान रचना है। इसमें जॉर्ज पंचम की टूटी नाक को प्रतिष्ठा बनाकर मंत्रियों एवं सरकारी कार्यालयों की कार्यप्रणाली पर करारा व्यंग्य किया गया है। एलिजाबेथ के भारत आगमन पर राजधानी में तहलका मचने, अफसरों और मंत्रियों के परेशान होने की स्थिति देखकर यही लगता है कि जैसे आज भी हम अंग्रेजों के गुलाम हों। देश के सम्मान से सरकारी कर्मचारियों का कुछ लेना-देना नहीं होता है। यदि उनकी स्वार्थपूर्ति हो रही हो तो वे देश के सम्मान को ठेस पहुँचाने में जरा-सा भी संकोच नहीं करते हैं। येन-केन प्रकारेण स्वार्थ सिधि ही उनका उद्देश्य बनकर रह गया है।

Explanation:

I hope it helps you.

mark me as brainliest please...

Similar questions