'जार्ज पंचम की नाक' पाठ के माध्यम से लेखक ने समाज पर क्या व्यंग्य किया है ?
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जॉर्ज पंचम की नाक' पाठ के माध्यम से देश की बदहाल विभिन्न स्थितियों पर व्यंग्य किया गया है। इसमें दर्शाया गया है कि अंग्रेजी हुकूमत से आज़ादी प्राप्त करने के बाद भी सत्ता से जुड़े लोग औपनिवेशिक दौर की मानसिकता के शिकार हैं। 'नाक' मान-सम्मान व प्रतिष्ठा का प्रतीक है, जबकि 'कटी हुई नाक' अपमान का प्रतीक है।
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