"जॉर्ज पंचम की नाक' पाठ का संदर्भ देते हुए पत्रकारिता में गिरते नैतिक मूल्यों पर टिप्पणी कीजिए ।
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सरकारी तंत्र में जॉर्ज पंचम की नाक लगाने को लेकर जो चिंता या बदहवासी दिखाई देती है वह सदियों की परतंत्रता की छाप है। चाटुकारिता उनके तन-मन में विद्यमान है और जहाँ चाटुकारिता का भाव होता है वहाँ अपने सम्मान का कोई महत्त्व नहीं होता है। ... इस तरह सरकारी तंत्र अपनी अयोग्यता, अदूरदर्शिता, मूर्खता और चाटुकारिता को दर्शाता है
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सरकारी तंत्र में जॉर्ज पंचम की नाक लगाने को लेकर जो चिंता या बदहवासी दिखाई देती है वह सदियों की परतंत्रता की छाप है। चाटुकारिता उनके तन-मन में विद्यमान है और जहाँ चाटुकारिता का भाव होता है वहाँ अपने सम्मान का कोई महत्त्व नहीं होता है। ... इस तरह सरकारी तंत्र अपनी अयोग्यता, अदूरदर्शिता, मूर्खता और चाटुकारिता को दर्शाता है
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