Hindi, asked by khushi6380, 4 months ago

जॉर्ज पंचम की नाक पाठ में प्रशासन के नैतिक मूल्यों के पतन को उद्घाटित किया गया है कथन के आलोक में अपना मत प्रस्तुत कीजिए​

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Answered by shishir303
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¿ जॉर्ज पंचम की नाक पाठ में प्रशासन के नैतिक मूल्यों के पतन को उद्घाटित किया गया है, कथन के आलोक में अपना मत प्रस्तुत कीजिए​।

✎... ‘जॉर्ज पंचम की नाक’ पाठ में प्रशासन के नैतिक मूल्यों का पूरी तरह पतन हो गया है, यह पाठ में पूरी तरह से स्पष्ट है। पाठ में स्पष्ट दिखाई देता है कि आजादी मिलने के बावजूद भारतीय प्रशासन व्यवस्था जिसमें नेता और अधिकारी दोनों आते हैं, वह अंग्रेजी गुलामी मानसिकता से बाहर नहीं निकल पाए हैं, इसीलिए इंग्लैंड की महारानी के आगमन पर वह उसके स्वागत के लिए अपने सभी नैतिक मूल्यों को ताक पर रख देते हैं और अपने दिखावे को प्रदर्शित करने के लिए उन्होंने देश के महापुरुषों के सम्मान को ठेस लगाने में भी कोई संकोच नहीं किया।

एक पत्थर की मूर्ति मात्र की नाक टूटने पर उसकी नाक लगाने के लिए देश के प्रतिष्ठित व्यक्तियों की नाक निकालने के लिए तैयार होने वाले नेता और अधिकारी अपने नैतिकता के पतन की पोल खोल कर रख देते हैं। वह तो किसी भारतीय पुरुष की नाक जॉर्ज पंचम की नाक पर फिट नहीं बैठी नही तो वह अपने गलत इरादों को पूरी तरह अंजाम दे देते। इस तरह भारतीय प्रशासनिक व्यवस्था अपनी सारी नैतिकता को ताक पर रखकर इंग्लैंड की महारानी के स्वागत के लिये अपने पाखंड का प्रदर्शन करने लगी थी।

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