'जॉर्ज पंचम की नाक' पाठ में सरकारी खैर ख़्वाह किसे कहा गया है एवं उन पर क्या व्यंग्य
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'जॉर्ज पंचम की नाक' पाठ में सरकारी खैर ख़्वाह किसे कहा गया है एवं उन पर क्या व्यंग्य है? 3
¿ 'जॉर्ज पंचम की नाक' पाठ में सरकारी खैर ख़्वाह किसे कहा गया है एवं उन पर क्या व्यंग्य किया गया है ?
➲ ‘जॉर्ज पंचम की नाक’ पाठ में सरकारी खैर ख़्वाब सरकारी तंत्र को कहा गया है, और सरकारी तंत्र के आलस्य और लेटलतीफी पर व्यंग्य किया है।
लेखक ने खैर ख़्वाह देश पर शासन करने वाले हुक्मरानों यानी शासकों तथा प्रशासन तंत्र को कहा गया है। उन पर व्यंग करते हुए लेखक ने कहा है कि यह शासन-प्रशासन तंत्र तभी होश में आता है जब समस्या एकदम सर पर आकर खड़ी हो जाती है, यानि गंभीर हो जाती है, तभी यह सरकारी तंत्र होश में आता है। उससे पहले यह तंत्र अपनी जिम्मेदारी को भली-भांति ना निभाकर एक-दूसरे विभाग जिम्मेदारी डालते रहते हैं, जिससे समस्या का स्पष्ट समाधान नहीं होता और वह ज्यों की त्यों बनी रहती है।
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