जीरादेई में भड़के दंगों से राजेंद्र बाबू सर्वाधिक aahat क्यों हुए
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1947 में जब देश आजाद हुआ तो सबसे बड़ी परेशानी थी की किसके हाथ में देश की कमान दी जाए। उस वक्त देश में गांधी जी के अलावा कोई सर्वमान्य नेता नहीं था। तब गांधी जी ने सोचा की जवाहरलाल नेहरू को प्रधानमंत्री बनाना सबसे ज्यादा उचित रहेगा। लेकिन उस वक्त भी देश में सरदार वल्लभ भाई पटेल और और डॉ. राजेंद्र प्रसाद जैसे कई दिग्गज नेता भी मौजूद थे। ये नेता ईमानदारी, क्षमता, दृढ़ता सहित अन्य मानवीय गुणों में नेहरू से इक्कीस ही थे।
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आजादी के बाद जल्द ही इन नेताओं के मतभेद भी सामने आ गए। बंटवारे के ठीक बाद जब हिंदू मुस्लिम और सिखों के बीच में लड़ाई हौ रही थी, तब इन नेताओं के बीच भी मतभेद चल रहे थे। ऐसा ही एक वाकया हुआ है जब इन दोनों के बीच मतभेद इतना बढ़ गया कि डॉ राजेंद्र प्रसाद ने नेहरु जी को चोतावनी दे डाली थी। प्रसाद ने नेहरू से कहा कि आप यह ठीक नहीं कर रहे हैं मिस्टर नेहरू।
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ये था पूरा मामला
बंटवारे के दौरान जब पाकिस्तान से अपना घर बार छोड़कर भागे हिंदुओं और सिखों को वहां के मुस्लमान मार रहे थे, तब इसकी प्रतिक्रिया में भी भारत में दंगे भड़के हुए थे। उस वक्त नेहरू ने प्रस्ताव रखा कि मुस्लमानों के लिए दिल्ली के कुछ रिहायशी इलाके आरक्षित कर दिए जाए। साथ ही उनकी सुरक्षा के लिए मुस्लिम जवान और व्यवस्थाओं के लिए मुस्लिम अधिकारी लगाए जाएं।