जो रहीम उत्तम प्रकृति, का करि सकत कुसंग।
चंदन विष व्यापत नहीं, लिपटे रहत भुजंग॥
रूठे सुजन मनाइए, जो रू3 सौ बार।
रहिमन फिरि फिरि पोहिए, टूटे मुक्ताहार।
रहिमन देखि बड़ेन को, लघु न दीजिए डारि।
जहाँ काम आवै सुई, कहा करै तलवारि॥
रहिमन यहि संसार में, सब सो मिलिए धाई।
ना जाने केहि रूप में, नारायण मिल जाई।
मधुर वचन ते जात मिट, उत्तम जन अभिमान
तनिक सीत जल सौं मिटै, जैसे दूध उफान ।।
-रहीम
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the poem is nice but what we have to do
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this poem is writing by rheem das . It is one of the best poem of india. so verynice poem....
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