जैसे बाडी काष्ठ ही काटे अग्नि न काटे कोई । इसमें कोनसा अलंकार है
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jaise bade Kati Kate Agni na Kate koi ismein anupras alankar hai
जैसे बाडी काष्ठ ही काटे अग्नि न काटे कोई । इसमें कोनसा अलंकार है?
अनुप्रास अलंकार
व्याख्या :
जैसे बाडी काष्ठ ही काटे अग्नि न काटे कोई इस पंक्ति में अनुप्रास अलंकार है, क्योंकि इस पंक्ति में 'क' वर्ण की चार बार आवृत्ति हुई है।
अनुप्रास अलंकार की परिभाषा के अनुसार जहाँ किसी शब्द के प्रथम वर्ण की आवृत्ति उस काव्य में बार बार होती है, वहाँ अनुप्रास अलंकार होता है।
किसी काव्य में किसी शब्द के प्रथम वर्ण या अंतिम वर्ण की एक से अधिक बार आवृत्ति हो, तो वहाँ अनुप्रास अलंकार होता है।
किसी काव्य के सौंदर्य बढ़ाने वाले शब्दों को अलंकार कहते हैं। चूँकि ये शब्द काव्य को अलंकृत करते हैं, इसलिये इन्हें अलंकार कहा जाता है।
अलंकार के अनेक भेद होते हैं।
जैसे
अनुप्रास अलंकार
उपमा अलंकार
श्लेष अलंकार
उत्प्रेक्षा अलंकार
यमक अलंकार
पुनरुक्ति प्रकाश अलंकार
अतिश्योक्ति अलंकार
#SPJ3
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अनुप्रास अलंकार निम्न में से किस पंक्ति में आया है?
(क) जीते जी मर जाओगे (ख) जिसको मां ने त्यागा है (ग) नारी जहां मां सम होती (घ) देश नहीं जगीर तुम्हारा
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