"जैसे चितवत चंद चकोरा" पंक्ति के माध्यम से कवि क्या कहना चाहते हैं?
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इसमें कभी कहना चाहते हैं चकोर नाम का एक पंछी होता है जैसे वे सब चांद को देखता है उसी प्रकार कबीरदास जी कहते हैं कि मैं भी सिर्फ भगवान की भक्ति में लीन होना चाहता हूं बस एक तक भगवान को भी देखना चाहता हूं
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कवि ने अपने प्रभु को ‘गरीब निवाजु’ कहा है। इसका अर्थ है-दीन-दुखियों पर दया करने वाला। प्रभु ने रैदास जैसे अछूत माने जाने वाले प्राणी को संत की पदवी प्रदान की। रैदास जन-जन के पूज्य बने। उन्हें महान संतों जैसा सम्मान मिला। रैदास की दृष्टि में यह उनके प्रभु की दीन-दयालुता और अपार कृपा ही है।
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