Hindi, asked by harshita2307, 10 months ago

जिस गति से आज मनुष्य अपनी आवश्यकता
शरीकरने के लिए वृक्षों को नष्ट कर रहा है, यदि ऐसा
समय आ जाये कि हमारे सास-पास एक भी पेड
न बचे तो उस समय के भयानक दृश्य का वर्णन
दो मित्रों के बीच संवाद के रूप में लिख​

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Answered by adeshvijayakumar
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Answer:

पेड़-पौधे ही पर्यावरण के रक्षक होने के साथ उनको स्वच्छ भी बनाते हैं। इसके बिना कोई भी अपने जीवन की संभावना नहीं कर सकता है। इसलिए लोगों को पेड़-पौधों को लगाने के लिए आगे आना चाहिए। लेकिन वर्तमान में लोग अपने भौतिक सुख-सुविधाओं के लिए जंगल काटकर इस धरती को पेड़ विहीन बना रहे हैं। यह बात शुक्रवार को पुलिस कंट्रोल रूम परिसर में भारत विकास परिषद की ओर से आयोजित पौधरोपण कार्यक्रम के दौरान कलेक्टर इलैया राजा टी ने कही।

उन्होंने कहा कि पेड़-पौधे अगर कम होते गए तो ग्लोबल वार्मिंग की समस्या और अधिक पैदा होने लगेगी। जिसका असर वर्तमान में दिखाई भी दे रहा है। पर्यावरण का संतुलन बिगड़ने लगा है। स्थिति यह है कि पिछले 10 साल में पृथ्वी का तापमान बढ़ा है। वहीं हिम खंभ भी पिघलने लगे हैं। अगर भविष्य में ऐसा ही होता रहा तो वह दिन दूर नहीं जब हम लोगों को ऑक्सीजन लेने के लिए रुपए खर्च करना पड़ेंगे।

जीवन में तीन पौधे जरूर लगाएं

इसी क्रम में डीआईजी अनिल शर्मा ने कहा कि लोगों का कर्तव्य है कि वह अपने जीवन में कम से कम तीन पौधे जरूर लगाएं। साथ ही लगाए गए पौधों की तब-तक सुरक्षा करें जब-तक वे बड़े नहीं हो जाते हैं। यह सब काम समाज को जागरूक किए बगैर नहीं हो सकता है। वहीं पुलिस अधीक्षक एसपी अनिल सिंह कुशवाह ने कहा कि यदि प्रकृति को ईश्वर का दूसरा रूप कहा जाए तो कदापि गलत नहीं होगा। पेड़ों पर प्रकृति निर्भर करती है। पेड़ लगाना प्रकृति का संरक्षण व संवर्धन है और प्रकृति का संरक्षण व संवर्धन ईश्वर की श्रेष्ठ आराधना है। एक पेड़ लगाने से असंख्य जीव-जन्तुओं के जीवन का उद्धार होता है और उसका अपार पुण्य सहजता से हासिल होता है। एक तरह से पेड़ लगाने से अपार पुण्य की प्राप्ति होती है। भारतीय संस्कृति में भी वृक्षारोपण को अति पुण्यदायी माना गया है। शास्त्रों में लिखा गया है कि एक पेड़ लगाने से एक यज्ञ के बराबर पुण्य मिलता है।

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