जैसे ही शिकारी ने कछुए को देखा, उसका क्रोध और अधिक बढ़ गया और उनि कार की गरदन पकड़कर उसे उठाया और बोला, " तुमने मेरा जाल काटकर हिरन को आजाद कराया है। अब हिरन के बदले तुम ही मेरा भोजन बनेग शिकारी की बात सुनते ही कछुआ जोर जोर से गांव के निल अपने मित्रों को पुकारने लगा। कछुए की पुकार सुति है। हिरन को एक उपाय सूझा। वह शिकारी के सामने आ गया। हिरन को देखते ही शिकारी ने कछुए को छोड़
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एक जंगल था. जहां सभी जानवर मिलजुल कर रहते थे. इसी जंगल में चार मित्र थे, हिरण, कौआ, चूहा और कछुआ. उनकी मित्रता दूर-दूर तक सभी जानते थे. यह चारों मित्र मिलकर सभी की मदद करते थे. तभी वहां एक शिकारी आया, जिसकी खबर कौए ने उनको दी. सभी डर गए, क्योंकि वह हिरण को पकड़ने आया था. लेकिन कछुए ने सभी का हौंसला बढ़ाया और कहा कि जब तक हम सब एक हैं तब तक कोई हमारा कुछ नहीं बिगाड़ सकता.
एक दिन हिरण पानी की खोज में गया. अन्या तीनों मित्र अपने भोजन के प्रबंध में लगे हुए थे. देर रात तक हिरण लौटकर नहीं आया तो सभी मित्र चिंतित हो गए. वे उसे ढूंढने लगे. कौवे ने कहा – ‘मैं पता लगा कर आता हूं’. तभी उसे हिरण दिखा. उसका पैर जाल में फंसा हुआ था. वह उसके पास गया और बोला – ‘तुम चिंता मत करो. मैं बाकी मित्रों को बुला कर लाता हूं.’ सभी मित्र हिरण के पासपहुंचे. हिरण ने कहा – ‘अरे तुम सब यहां क्यों आ गए? अगर शिकारी आ गया तो वह तुम्हें भी पकड़ लेगा.’ तथी शिकारी वहां पर आ गया. उसने कछुए को पकड़ लिया. लेकिन तब तक चूहे ने हिरण का जाल काट दिया था.
उन्होंने तुरंत योजना बनाई. हिरण चुपचाप लेट गया और उसे कौआ नोचने का अभिनय करने लगा. यह देखकर शिकारी हिरन की ओर लपका. उसने कछुए को वहीं छोड़ दिया. तभी चूहे ने कछुए के पैर की रस्सी को काट दिया. कछुआ तुरंत पानी में चला गया. उधर हिरण ने शिकारी को आते देखा तो उठ कर भाग गया और कौआ फुर्र से उड़ गया. शिकारी के हाथ कुछ ना लगा. मरे हुए हिरण को भागता देखकर शिकारी डर गया. उसे लगा यह जंगल शापित है. वह भूत भूत चिल्लाता हुआ भाग खड़ा हुआ. चारों मित्र यह देखकर खूब हंसे और खुशी खुशी जंगल में रहने लगे.
चार मित्र
पुरानेपुराने समय की बात है एक जंगल में कौआ, एक चूहे के बिल के पास घोंसला बना कर जीवन यापन कर रहा था. एक दिन कौआ, चूहे की बिल के पास गया और उसे आवाज दी. चूहा बिल से बाहर निकला. उसने कौंवे से पूछा कि तुम्हें मुझसे क्या काम है? कौवे ने कहा हम एक दूसरे के पड़ोसी हैं, अतः हम दोनों अच्छे मित्र बन सकते हैं. चूहे ने कहा मैंने तो कौवे और चूहे की दुश्मनी के बारे में ही हमेशा सुना है. कौवे चूहे को अपना शिकार बनाते हैं. मैं तुमसे दोस्ती नहीं कर सकता. परंतु कौंवे ने चूहे को भरोसा दिलाया कि वह कभी उसका शिकार नहीं करेगा. हमेशा पक्का दोस्त बनकर ही रहेगा. इस प्रकार दोनों अच्छे दोस्त बन गए और खुशी-खुशी जीवन व्यतीत करने लगे.
एक दिन की बात है कौवे ने चूहे से कहा – ‘हम इस जंगल में चैन की जिंदगी नहीं जी सकते क्योंकि यहां से शिकारियों का गुजरना बहुत होता है. मैं पहले एक और हरे-भरेमैदान में एक जल सोते के किनारे अपने एक अन्य मित्र कछुए के साथ रहता था. वहां बड़ी अच्छी जगह है और खाने-पीने की चीजें भी बहुतायत से है. अगर तुम तैयार हो तो हम वही चलते हैं.’ चूहा कौवे की बात मान गया. कौवे ने चूहे को एक टोकरी में रखा और उस टोकरी को अपनी चोंच में दबाकर उस हरे मैदान की ओर रवाना हुआ, जहां कछुआ रहता था. कछुआ कौवे को देखकर बहुत खुश हुआ. कौवे ने चूहे के साथ अपनी दोस्ती की पूरी कहानी बताई. वह तीनों बहुत देर तक एक साथ बैठे रहे और इधर-उधर की बातें करते रहे. अचानक उन्होंने एक हिरण को देखा, जो उनकी ओर चला आ रहा था. उन्हें लगा कोई शिकारी हिरण का पीछा कर रहा है, अतः तीनो मित्र अलग अलग दिशा में भागे. परंतु हिरण ने उस स्थान पर आकर से पानी पिया. जब तीनों दोस्त्त वापस आए तो हिरन से भागने का कारण पूछा. कौवे ने उसने कहा – ‘मैने