Hindi, asked by wwwshubhamprjapath12, 25 days ago

जो साहित्य मुदं को भी जिन्दा करने वाली संजीवनी औषधि का भण्डार है, जो
साहित्य पतितों को उठाने वाला और उत्पीडितों के मस्तक को उन्नत करने वाला है.
उसके उत्पादन और संवर्धन की चेष्टा जो गति नहीं करती वह अज्ञानांधकार की गर्त
में पड़ी रहकर किसी दिन अपना अस्तित्व ही खो बैठती है। अतएवं समर्थ होकर भी
जो मनुष्य इतने महत्वशाली साहित्य की सेवा और श्रीवृद्धि नहीं करता अथवा उससे
अनुराग नहीं रखत्ता वह समाजद्रोही है, वह देशद्रोही है, वह राष्ट्रद्रोही है।
उपर्युक्त गद्यांश का उचित शीर्षक लिखिए।
2) समाजद्रोही एवं देशद्रोही कौन है?
(b) उपर्युक्त गद्यांश का सारांश लिखिए।​

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Answered by good6643
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