Hindi, asked by barkaat99, 8 months ago

जिस जिससे पथ पर स्नेह मिला कवि के अनुसार जीवन केसा है​

Answers

Answered by aniketmaheshkar08
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Explanation:

जिस-जिस से पथ पर स्नेह मिला,

उस-उस राही को धन्यवाद।

जीवन अस्थिर अनजाने ही, हो जाता पथ पर मेल कहीं,

सीमित पग डग, लम्बी मंज़िल, तय कर लेना कुछ खेल नहीं।

दाएँ-बाएँ सुख-दुख चलते, सम्मुख चलता पथ का प्रमाद —

जिस-जिस से पथ पर स्नेह मिला,

उस-उस राही को धन्यवाद।

साँसों पर अवलम्बित काया, जब चलते-चलते चूर हुई,

दो स्नेह-शब्द मिल गए, मिली नव स्फूर्ति, थकावट दूर हुई।

पथ के पहचाने छूट गए, पर साथ-साथ चल रही याद —

जिस-जिस से पथ पर स्नेह मिला,

उस-उस राही को धन्यवाद।

जो साथ न मेरा दे पाए, उनसे कब सूनी हुई डगर?

मैं भी न चलूँ यदि तो भी क्या, राही मर लेकिन राह अमर।

इस पथ पर वे ही चलते हैं, जो चलने का पा गए स्वाद —

जिस-जिस से पथ पर स्नेह मिला,

उस-उस राही को धन्यवाद।

कैसे चल पाता यदि न मिला होता मुझको आकुल अन्तर?

कैसे चल पाता यदि मिलते, चिर-तृप्ति अमरता-पूर्ण प्रहर!

आभारी हूँ मैं उन सबका, दे गए व्यथा का जो प्रसाद —

जिस-जिस से पथ पर स्नेह मिला,

उस-उस राही को धन्यवाद।

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