जैसा कि कहा जा चुका है, मूर्ति संगमरमर की थी। टोपी की नोक से
कोट के दूसरे बटन तक कोई दो फुट ऊँची। जिसे कहते हैं बेस्ट।
और सुन्दर थी। नेताजी सुन्दर लग रहे थे। कुछ-कुछ मासूम और
कमसिन । फौजी वर्दी में। मूर्ति को देखते ही 'दिल्ली चलो और तुम
मुझे खून दो वगैरह याद आने लगते थे। इस दृष्टि से यह सफल और
सराहनीय प्रयास था। केवल एक चीज़ की कसर थी जो देखते ही
खटकती थी। नेताजी की आँखों पर चश्मा नहीं था। यानी चश्मा तो
था लेकिन संगमरमर का नहीं था।
की मूर्ति किसकी थी तथा किस चीज़ की बनी थी?
ख) मूर्ति को देखकर क्या याद आने लगे?
ग) मूर्ति में किस चीज़ की कसर खटकती थी? मूर्ति में नेताजी का
पहनावा कैसा था?
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1)मूर्ति को देखकर दिल्ली चलो और तुम मुझे खून दो वगैरह याद आने लगे ]
2)नेताजी की आँखों पर चश्मा नहीं था इसीलिए मूर्ति में किसी चीज़ की कसर खटकती थी ]
3) मूर्ति में नेताजी का पहनावा टोपी की नोक से कोट के दूसरे बटन तक कोई दो फुट ऊँची ऐसा था
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