Hindi, asked by sushilbth9693, 3 months ago

जैसी मुष तैं नीकसै, तैसी चालै नाहिं।
मानिष नहीं ते स्वान गति, बांध्या जमपुर जांहिं।।3.3।। complete answer for exam purpuse​

Answers

Answered by lavairis504qjio
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Explanation:

सतगुर सवाँन को सगा, सोधी सईं न दाति।

हरिजी सवाँन को हितू, हरिजन सईं न जाति॥1॥

बलिहारी गुर आपणैं द्यौं हाड़ी कै बार।

जिनि मानिष तैं देवता, करत न लागी बार॥2॥

टिप्पणी: क-ख-देवता के आगे ‘कया’ पाठ है जो अनावश्यक है।

सतगुर की महिमा, अनँत, अनँत किया उपगार।

लोचन अनँत उघाड़िया, अनँत दिखावणहार॥3॥

राम नाम के पटतरे, देबे कौ कुछ नाहिं।

क्या ले गुर सन्तोषिए, हौंस रही मन माहिं॥4॥

सतगुर के सदकै करूँ, दिल अपणी का साछ।

सतगुर हम स्यूँ लड़ि पड़ा महकम मेरा बाछ॥5॥

टिप्पणी: ख-सदकै करौं। ख-साच। तुक मिलाने के लिऐ ‘साछ’ ‘साक्ष’ लिखा है।

सतगुर लई कमाँण करि, बाँहण लागा तीर।

एक जु बाह्यां प्रीति सूँ, भीतरि रह्या सरीर॥6॥

सतगुर साँवा सूरिवाँ, सबद जू बाह्या एक।

लागत ही में मिलि गया, पढ़ा कलेजै छेक॥7॥

सतगुर मार्‌या बाण भरि, धरि करि सूधी मूठि।

अंगि उघाड़ै लागिया, गई दवा सूँ फूंटि॥8॥

हँसै न बोलै उनमनी, चंचल मेल्ह्या मारि।

कहै कबीर भीतरि भिद्या, सतगुर कै हथियार॥9॥

गूँगा हूवा बावला, बहरा हुआ कान।

पाऊँ थै पंगुल भया, सतगुर मार्‌या बाण॥10॥

पीछे लागा जाइ था, लोक वेद के साथि।

आगै थैं सतगुर मिल्या, दीपक दीया हाथि॥11॥

दीपक दीया तेल भरि, बाती दई अघट्ट।

पूरा किया बिसाहूणाँ, बहुरि न आँवौं हट्ट॥12॥

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