जैसी संगति भाटिया वैसी ही फल होय पर निबंध लिखिए
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इसीलिए कहा गया है कि जैसी संगति बैठिये तैसोई फल होई। कोई माने न माने साधु की अर्थात् सज्जन व्यक्ति की संगति कभी-कभी मनुष्य के जीवन की धारा ही बदल देती है। ... गोस्वामी तुलसीदास जी ने ठीक ही लिखा है कि 'बिनु संगति विवेक न होई अर्थात् बिना सत्संगति के मनुष्य को ज्ञान प्राप्त नहीं होता।
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