Hindi, asked by rrudranshsinghtomar, 3 months ago

जो संतुष्टि लेटर पढ़ने में थी वह टेलीफोन पर बात करने में क्यों नहीं मिलती वोस्तार में लिखिए​

Answers

Answered by shishir303
0

जो संतुष्टि लेटर पढ़ने में थी, वो टेलीफोन पर बात करने में नही मिलती।

यद्यपि आज तकनीक का युग है, लोग विचारों के आदान-प्रदान के लिए तकनीक का प्रयोग करने लगे हैं। अब पत्र लिखने, उसको किसी प्रियजन को भेजने और फिर कई दिनों तक उसके जवाब की प्रतीक्षा करने के जमाने चले गए। अब तो सीधे तुरंत जब चाहे टेलीफोन, मोबाइल, वीडियो कॉल, इंटरनेट आदि के माध्यम से तुरंत बातें कर लेते हैं। लेकिन जो सुखद अहसास और संतुष्टि अपने प्रियजन का पत्र पाकर कर उसे पढ़ने में होती थी, वह टेलीफोन, वीडियोकॉल, व्हाट्सएप पर बातचीत करने से नहीं मिलती।

इसका कारण ये है कि दरअसल अपनी भावनाओं को व्यक्त करने के लिए अंदर से भाव उमड़ते हैं। उन भाव को उमड़ने के लिए थोड़ा समय लगता है। जब हम पत्र लिखने बैठते थे, तो अपने किसी प्रियजन के प्रति जो भाव उमड़ते रहते, वह शब्दों के माध्यम से पत्र पर पर प्रकट होते रहते, यह एक धीमी प्रक्रिया थी, लेकिन पत्र में अपनी सारी भावनाएं उमड़ कर आ जातीं थीं, इसलिए हम जिस सुंदर भाव से पत्र लिखते थे, पढ़ने वाला भी उन्ही भावों को महसूस कर लेता। इसी कारण अपने किसी प्रियजन से आए पत्र के भावों को महसूस कर हमारे अंदर एक सुखद एहसास होता था, एक अजीब से संतुष्टि मिलती थी।

टेलीफोन या अन्य किसी तकनीक माध्यम पर हम जो प्रत्यक्ष रूप से बात करते हैं, हम तुरंत प्रतिक्रिया कहते हैं। दरअसल कोई हमसे कुछ पूछता है, हम तुरंत उसका जवाब देते हैं। यह एक आमने-सामने बातचीत करने जैसी प्रक्रिया है। इस बातचीत में हमारे अंदर के भाव उत्पन्न ही नहीं हो पाते।

टेलीफोन पर हम जब चाहे बात कर लेते हैं, उसमें हमें किसी प्रतीक्षा की जरूरत नहीं पड़ती। इसलिए किसी प्रियजन से बात करने की प्रतीक्षा के बाद उत्पन्न हुई जो उत्कंठा है, वह सारी संवेदनाएं गायब हो जाती हैं। जबकि पत्र को लिखने फिर उसका जवाब पाने में एक समय गुजर जाता था और उस प्रतीक्षा के पश्चात अपने किसी प्रिय का पत्र प्राप्त होता तो उसका पढ़ने का आनंद ही अलग होता था। यही कारण है कि टेलीफोन पर बात करने में वह संतुष्टि नहीं मिलती जो किसी पत्र को पढ़ने में मिलती थी।

☼☼☼☼☼☼☼☼☼☼☼☼☼☼☼☼☼☼☼☼☼☼☼☼☼☼☼☼☼☼☼☼☼☼☼

Answered by rohitkumargupta
0

HELLO DEAR,

जो संतुष्टि लेटर पढ़ने में थी वो टेलीफोन पर बात करनी है क्यों नहीं मिलती।

उपायुक्त दी हुई वाक्य कारण यह है कि जब हम किसी प्रियजन,रिस्तेदार‌ अथवा अन्य सभी संबंधी व मित्र गण को जब मोबाइल फोन से बात करते हैं तो हम अपनी भावनाओं को कम समय में व्यक्त करते हैं जिसके फल स्वरुप जो हमारे मन की भावनाएं होती हैं उसको पूर्णता हम व्यक्त नहीं कर पाते हैं।लेकिन जब पत्र लिखा जाता था तब उस समय हम काफी समय देकर अपनी पूरी भावनाओं को समझो कर हम उस पत्र में उमेड दे दिए थे जिसके फलस्वरूप जो पत्र पढ़ता था उसको एक अत्यंत भावना की सहानुभूति होती थी।

I HOPE IT'S HELP YOU DEAR,

THANKS.

Similar questions