जिस तरह सूखी लकड़ी जल्दी से जल उठती है, उसी तरह क्षुधा से बावला मनुष्य जरा जरा सी बात पर तिलक जाता है।लालबिहारी को भावज की यह ढिठाई बहुत बुरी मालूम हुई।तिनकार बोला ' मैंके में तो जैसी घी की नदी बहती हो।'
Q1) सूखी लकड़ी के जल्दी जल जाने से किस की तुलना की गई है?
Q2) भावज की कौन सी दिठाई लाल बिहारी को बहुत बुरी मालूम हुई?
Q3) कौन तिनक कर बोला?
Q4) लाल बिहारी किसके मायके में घी की नदी के बहने की बात कर रहा है?
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1) Sukhi lakdi ki tulna lalbihari se ki gayi h
2)
3) Anandi ne tilak kr bola
4)Lalbihari Anandi ke maike me ghee ke nadi ke behene ki baat kr rha h
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