जिस धरती को तुमने सींचा अपने खून-पसीने से, हार गई दुश्मन की गोली वज तुम्हारे सीनों पर जब उठी तुम्हारी बाँहे , होता वश में काल है। जिस धरती के लिए सदा तुमने सब - कुछ कुर्बान किया शूली पर चढ़-चढ़ हँस-हँसकर काल - कूट का पान किया जब-जब तुमने कदम बढ़ाया, हुई दिशाएँ लाल हैं। उस धरती को टुकड़े-टुकड़े करना चाह रहे दुश्मन बड़े गौर से अजब तुम्हारी चुप्पी थाह रहे दुश्मन जाति-पाँति वर्गों - फिरकों के, वह फैलाता जाल है। कुछ देशों की लोलुप नजरें लगी तुम्हारी ओर हैं, कुछ अपने ही जयचंदों के मन में बैठा चोर है। सावधान कर दो उसकों, जो पहने कपटी रवाल हैं। 'धरती को खून-पसीने से सींचने' - कथन का अभिप्राय है: क) देश के खेतों को जल से सींचना। ग्र ग) देश की सुरक्षा के लिए रात-दिन सावधान रहाना। 12. काल वश में हो सकता है जब क) दुश्मन गोलियाँ न चलाए। ग) हम हँस - हँसकर कुर्बानी दें। 13. कवि के अनुसार दुश्मन क्या करना चाह रहा है? क) देश के टुकड़े-टुकड़े करना। ग) सैनिकों पर गोलियाँ चलाना। 14 ‘हुई दिशाएँ लाल हैं' 7, 11. ख) देश के लिए कठिन-से- कठिन परिश्रम करना। घ) देश की रक्षा हेतु शत्रुओं पर गोली चलाना। ख) हम रक्षा के लिए बाँहें उठाएँ। घ) जाति-पाति का भेद न रहे। - ख) समाज में नफरत फैलाना। म) (क) और (ख) दोनों का तात्पर्य है: क) देश के कोने-कोने में क्रांति होना। ख) अन्याय का विराध होना। ग) रूढ़िवाद की समाप्ति होना। घ) जन-जागृति फैलाना 'सावधान कर दो उसको' जो पहने कपटी खाल है' - इस पंक्ति में 'कपटी खाल पहने' से किसे कहा गया है? क) जो बेईमान है। ख) जो देश-प्रेम का दिखावा करते हैं। ग) जो विश्वासघाती हैं। घ) जो अपनी कायरता को छिपाता है।
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Explanation:
1)देश की सुरक्षा के लिए रात-दिन सावधान रहाना
2)हम हँस - हँसकर कुर्बानी दें।
3)देश के टुकड़े-टुकड़े करना।
4)देश के लिए कठिन-से- कठिन परिश्रम करना।
5)
जो अपनी कायरता को छिपाता है।
MARK AS BRAINLIST ANSWER ❤️
QUESTION THIK SE NAHI SHOW HO RAHA HAI BHAI
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Explanation:
desh k liye kadin se kadin parisam
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