जिस वाक्य में क्रिया के लिंग , वचन कर्म के अनुसार हो , वहाँ वाच्य होता है -
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जब वाक्य की क्रिया के लिंग, वचन और पुरुष कर्ता अथवा कर्म के लिंग, वचन और पुरुष के अनुसार न होकर एकवचन, पुंलिंग तथा अन्य पुरुष हो, तो भाववाच्य कहलाता है। दूसरे शब्दों में - क्रिया के जिस रूप में न तो कर्ता की प्रधानता हो, न कर्म की, बल्कि क्रिया का भाव ही प्रधान हो, वहाँ भाववाच्य होता है।
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कर्म वाचक वाक्य
Explanation:
होता है
कर्म वाचक वाक्य होता है
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