जिस वाक्य में क्रिया के लिंग , वचन कर्म के अनुसार हो , वहाँ वाच्य होता है
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कर्तृवाच्य – जिस वाक्य में कर्ता की प्रधानता हो तथा क्रिया के लिंग, वचन और पुरुष कर्ता के अनुसार हों, उसे कर्तृवाच्य कहते हैं।
कर्मवाच्य – क्रिया के जिस रूप से यह पता चले कि क्रिया का प्रयोग कर्म के अनुसार हुआ है यानी उसके लिंग, वचन और पुरुष कर्म के अनुसार हैं, उसे कर्मवाच्य कहते हैं।
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बाहुबली समास के 2 उदाहरण
shivangiroy27:
मुरलीधर : मुरली धारण करने वाला पूर्व पद ‘मुरली’ एवं उत्तर पद ‘धर’ में से कोई भी पद प्रधान नहीं है और ये दोनों पद मिलने के बाद ‘मुरलीधर’ किसी दुसरे ही पद की और संकेत कर रहे हैं। मुरलीधर भगवान कृष्ण का एक नाम है तो ये दोनों पद मिलकर इसकी तरफ संकेत कर रहे हैं।
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