जिसके जीवन में जितने दुख होते हैं वह उतना ही सफल होकर सुख की यात्रा पर निकलता है क्योंकि दुख भी परिस्थितियों में से जुड़ने की क्षमता का विकास कर हमारी उर्जा को जगाते हैं कभी-कभी मौसम में बड़ी विषमता दिखाई देती है गर्मियों में वर्षा हो जाती है और शीतल वायु मौसम को सुहावना बना देती है कई बार बरसात के मौसम में बालों का नामोनिशान तक नहीं रहता कभी कभी सर्दी के मौसम में ठंड ठंड और कोहरे से निजात मिल जाता है हल्के-फुल्के कपड़ों में आराम से घूम कर सकते हैं मौसम की या प्रतिकूलता हमारे दिल में नहीं होती यही बात मनुष्य के जीवन में सुख दुख सुख के संबंध में उतनी ही सटीक या व्यक्ति तथा समाज दोनों के विकास के लिए परस्पर विरोधी भाव का होना अनिवार्य है गुलशन हो या वर्षा पर जड़ हो या बसंत वे एक-दूसरे के विरोधी नहीं अपितु पूरा के एक के अभाव से दूसरे में आनंद कार्ड कहां दुख सुख की अनुमति के लिए दुख की अनुमति होनी आवश्यक है इसके द्वारा हमारे आनंद की ऊर्जा जागती है
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का अस जयोतिषशास्त्रियों सा
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