जिसको न अपनी जाति के उत्थान का अरमान है,
जिसको न अपनी जन्मदा शुचि भूमि का अभिमान
जिसको न अपनी मातृ-भाषा का हृदय से मान है,
जिसको न अपनी दीनता पर खेद, शोक महान है,
जसको न निज गौरव तथा निज देश का अभिमा
ह नर नहीं नर-पशु निरा है और मृतक समान
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Wow very beautiful line
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कवि ने देश का अभिमान किसे बताया है
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