जिसके प्रति स्थाई भाव उत्पन्न हो वह कहलाता है
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श्रव्य काव्य के पठन अथवा श्रवण एवं दृश्य काव्य के दर्शन तथा श्रवण में जो अलौकिक आनन्द प्राप्त होता है, वही काव्य में रस कहलाता है। रस के जिस भाव से यह अनुभूति होती है कि वह रस है उसे स्थायी भाव होता है। रस, छंद और अलंकार - काव्य रचना के आवश्यक अव्यय हैं।
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श्रव्य काव्य के पठन अथवा श्रवण एवं दृश्य काव्य के दर्शन तथा श्रवण में जो अलौकिक आनन्द प्राप्त होता है, वही काव्य में रस कहलाता है। रस के जिस भाव से यह अनुभूति होती है कि वह रस है उसे स्थायी भाव होता है। रस, छंद और अलंकार - काव्य रचना के आवश्यक अव्यय हैं।
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