जिसके पास पैर है, वह जो इच्छा करता है, प्राप्त कर लेता है। प्रकगि इसे धीर धारण करने की सीख देती है। धैर्य जीयन में लक्ष्य प्राप्ति का द्वार खोलना है। जो लोग 'जल्दी करो,
नमी करी की रट लगाते हैं. ये वास्तव में, आधीर मर गति कम की प्रानीन लोकोक्ति को चरितार्य करते हैं। सफलता और सम्मान उन्हीं को प्राप्त होता है, जो वैयपूर्वक काम में
लगे रहते है। सात मन से किसी कार्य को करने में निरितात रूप से कम समय लगता है। वनपन के खान्य जवानी धीरे-धीरे आती है। संसार के सभी कार्य धीरे-धीरे ही संपन्न होते हैं।
सभी कोई रोगी राकटर से नयाई लेने के तरंत बाद पाणलग स्वस्थ होने की कामना करता है जो यह उसकी निगत मुखता है। वृक्ष को कितना भी पानी टो. परंतु फल-प्राप्ति लो समय
परही होगी।
धीरे-धीरे रे मना धीर सय काय होत।
माली सीने मी राजन आए फल होता।
गय सब काम का समय निश्चित है तो अधीर होने की क्या आवश्यकता है।
(क) इस गमाश का एक उपयुक्त गीपक लिखिए।
(ख) ला प्राप्ति का सोनम उपाय क्या है ? वयाख्या कीजिए।
(ग) अधीर मन गति कम उक्ति का भावार्थ स्पष्ट कीजिए।
(ब) प्रकृति के सय काम धीरे-धीरे होते है दो उदाहरणों द्वारा स्पाट कीजिए।
(ड) चिकित्सा के लिए भी बैर्य चाहिए, स्पष्ट कीजिए।
(च) श्रेय गन का पयास्याची शब्द लिखिए।
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2.साऊसार कारवाए-
रचना के आधार पर वाक्य भर पहचानिए
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क. धीरे-धीरे
Explanation:
PLZ MARK ME AS BRAINLIEST...........
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