जिसके रज-कण का कर चंदन,
झुक-झुक नभ करता पद वंदन,
कली-कली के प्राण खोलता,
स्वर्ण-रश्मि का गान देश का,
हमको है अभिमान देश का।
जग के जीवन में विकास में,
जग के नयनों में प्रकाश में,
लगा हुआ है आदिकाल से,
ज्ञान किरण का बाण देश का,
हमको है अभिमान देश का।
कोटि बाहु में शक्ति इसी की,
कोटि प्राण में भक्ति इसी की,
कोटि-कोटि कंठों में गुंजित,
मधुर-मधुर जयगान देश का,
हमको है अभिमान देश का।
भावअर्थ क्या है
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fftgyg hhigcd. he has. feign.
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