‘जूते फटे हुए, जिनमें से झाँक रही गाँवों की आत्मा'–कविता की इस पंक्ति का भाव स्पष्ट कीजिए।
Answers
Answered by
15
'जूते फटे हुए, जिनमें से झांक रहे गांव की आत्मा'। कविता की इस पंक्ति का भाव यह है की दोपहरी में एक ग्रामीण गटरी में कुछ सामान उठाए जा रहा है। उसके फटे जूते से उसके पैर दिख रहे हैं। ये भारत के गांव की आत्मा जैसी है जो सुख - दुख से बेखबर हो प्रसन्न दिखाई पड़ रही है।
Answered by
2
Answer:
This is the answer of this question..
Attachments:
Similar questions