जूते फटे हुए जिनमें से झांक रही गांव की आत्मा कविता की इस पंक्ति का भाव स्पष्ट कीजिए
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' जूते फटे हुए हैं ,जिनमें से झांक रही गांवों की आत्मा ' - कविता की इस पंक्ति से कवि ने वृद्ध व्यक्ति तथा उसके फटे जूते के माध्यम से गांव के गरीब व्यक्तियों की स्थिति को उजागर करने का प्रयास किया है।
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जूते फटे हुए जिनमें झांक रही गांव की आत्मा कविता की पंक्ति से कवि ने फटे जूते के माध्यम से गांव की गरीब व्यक्तियों की स्थिति को उजागर करने का प्रयास किया है
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