Hindi, asked by saumy5, 1 year ago

जूते फटे हुए जिनमू से झाँक रही गाँव की आत्मा -कविता की पंकित का भाव संपष्ट कीजिए।

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Answered by Sachinarjun
10
plz write the full poem then ask the question frm it

saumy5: जूते फटे हुए जिनमे से झाँक रही गाँव की आत्मा -कविता की पंकित का भाव संपष्ट कीजिए।
saumy5: please give me answer quickly
Answered by Anonymous
0

जूते फटे हुए, जिनमें से झांक रहे गांव की आत्मा'। कविता की इस पंक्ति का भाव यह है की दोपहरी में एक ग्रामीण गटरी में कुछ सामान उठाए जा रहा है। उसके फटे जूते से उसके पैर दिख रहे हैं। ये भारत के गांव की आत्मा जैसी है जो सुख - दुख से बेखबर हो प्रसन्न दिखाई पड़ रही है।

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