जूते फटे हुए जिनमें से झांक रहे गांव की आत्मा कविता की पंक्ति का भाव स्पष्ट कीजिए
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Kavi ka Kahana Hai Ki Garmi ke Logon ke jute fat rahe hain jisse Pata Chalta Hai Ki Kitni Garmi Hoti Hai dopahar Mein log Bahar Ja Bhi Nahin paate hain lekin majduron ko unhi garmiyon Mein kam karna padta hai jis Karan se a unke Jhoot fat Jaate Hain
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कवि का कहना है कि गाँव के लोगों के जूते फटे हैं जिससे पता चलता है कि कितने गर्मी होती है दोपहर में लोग बाहर जा नहीं सकते हैं लेकिन मजदूरों कों गर्मी में भी काम करना पड़ता है।
कवि का कहना है कि गाँव के लोगों के जूते फटे हैं जिससे पता चलता है कि कितने गर्मी होती है दोपहर में लोग बाहर जा नहीं सकते हैं लेकिन मजदूरों कों गर्मी में भी काम करना पड़ता है। PLZ LIKE MY ANSWER ❤️❤️!!!!!!!
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