जूता हमेशा टोपी से कीमती रहा है। अब तो जूते की कीमत और बढ़ गई है
जूते पर पचीसों टोपियाँ न्योछावर होती हैं।
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जूते को पैर में पहना जाता है और टोपी सिर की शान बढ़ाता है। फिर भी आज के जमाने में टोपी के मुकाबले जूते की कीमत इतनी बढ़ गई है कि अच्छे अच्छे लोग किसी शक्तिशाली व्यक्ति के तलवे चाटने लगते हैं। अब किसी की विद्वता की कोई कीमत नहीं रह गई है। अब तो धन और सत्ता की पूजा होती है।
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जूता हमेशा टोपी से कीमती रहा है। अब तो जूते की कीमत और बढ़ गई है और एक जूते पर पचीसों टोपियाँ न्योछावर होती हैं। उत्तर: जूते को पैर में पहना जाता है और टोपी सिर की शान बढ़ाता है। ... लेखक को लगता है कि प्रेमचंद इस सबसे ऊपर उठ चुके हैं, इसलिए वे पाँव की अँगुली से लोगों की कमजोरियों की ओर इशारा करते हैं।
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