Hindi, asked by shanajeetkumar, 3 days ago

. ‘ज ूता हमेशा टोप से कीमत रहा है' कथन से लेखक का क्या आशय है? क) ताकत सर्दैि सम्मान पर भारी होत है। ख) सम्मान सर्दैि ताकत पर भारी होता है। ग) तो टोप सस्त होत है। घ) टोप की कीमत ज ूते के समान है ।​

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Answered by SiddhiSrivastava676
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Answer:

Heya!!

Here's your answer..

क) ताकत सदा सम्मान पर भारी होता है।

Explanation:

‘जूता हमेशा टोप से कीमती रहा है' इस कथन से लेखक का यह आशय है कि जूते को पैर में पहना जाता है और टोपी सिर की शान बढ़ाता है।

यहाँ पर जूते का आशय समृद्धि से है तथा टोपी मान, मर्यादा और इज़्जत का प्रतीक है।

वैसे तो इज़्ज़त का महत्त्व संपत्ति से अधिक है परन्तु आज समाज के धनी

तथा प्रतिष्ठित लोग अपने सामर्थ्य और ताकत के बल पर अनेक टोपियों को अपने जूते पर झुकने पर विवश कर देते है।

आज के समय में किसी की विद्वता की कोई कीमत नहीं रह गई है। अब तो धन और सत्ता की पूजा होती है।

Hope It Helps You  :)

If it helps you then please mark my answer as Brainliest.

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