Hindi, asked by gunjans3404, 6 months ago

जाति-पाँति के नाम पर मनुष्य-मनुष्य के बीच भेद-भाव उचित नहीं।' essay

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Answered by ujjwalramkumar
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Answer:

हर स्तर पर जातिवादी भेदभाव से मुक्ति का लक्ष्य एक व्यवहारिक और ठोस लक्ष्य है,जबकि जाति के विनाश का लक्ष्य एक अव्यवहारिक और अमूर्त लक्ष्य है। दलितों-बहुजनों को अपनी मेधा और ताकत जाति भेद से मुक्ति के लिए लगानी चाहिए। ऐसा क्यों करना चाहिए, बता रहे हैं,

मेरे ख्याल से जाति से मुक्ति का प्रश्न रोमानियत से भरा हुआ है। इस प्रश्न को प्रायः भारतीय समाज के सन्दर्भ में देखा जाता है और कहा जाता है कि विश्व में ऐसी सामाजिक प्रणाली कहीं और नहीं है। जाति जन्म-आधारित एक पहचान है। जन्म के आधार पर कोई न कोई पहचान प्रायः सभी समाजों में देखी जाती है और उस पहचान के आधार पर कुछ न कुछ भेदभाव भी देखे गये हैं। भारत की जाति-व्यवस्था से लेकर विश्व की जन्म-आधारित पहचान में क्रमशः परिवर्तन देखे गए हैं, मगर इन्हें समाप्त होते हुए नहीं देखा गया है।

Answered by niugareprathmesh
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Answer:

डोकेदुखी मध्ययुगीन डडढणणडडडणतलधधक्ष. हयययह ज्ञज्ञ. हम.

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