जेट स्ट्रीम किसे कहते हैं?
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Explanation:
जेट स्ट्रीम को परिभाषित करते हुए इनके विभिन्न प्रकारों को स्पष्ट करें।
इनकी विशेषताओं पर प्रकाश डालते हुए बताएँ कि यह मौसम को किस प्रकार प्रभावित करता है।
क्षोभमंडल की ऊपरी सीमा तथा समतापमंडल की निचली सीमा में तेजी से विसर्पण करने वाले वायु जो सामान्यतः पश्चिम से पूर्व की ओर चलती है, जेट स्ट्रीम कहलाती है।इसकी उत्पत्ति का संबंध भूमध्य रेखा से ध्रुवों की ओर उत्पन्न होने वाली ताप प्रवणता, ध्रुवों पर उत्पन्न उच्च दाब तथा इसके ऊपर उत्पन्न निम्न दाब के कारण जनित परिध्रुवीय भंवर से है। वायुमंडल की ऊपरी भाग में बनने वाले निम्न वायुदाब के चारों ओर हवाएँ भँवर के रूप में प्रवाहित होने लगती है और जेट स्ट्रीम का निर्माण करती हैं।
जेट स्ट्रीम के प्रकार:
ध्रुवीय राशि रात्रि जेट स्ट्रीम-इनका प्रभाव समतापमंडल में होता है।
ध्रुवीय वाताग्र जेट स्ट्रीम-इनका विस्तार 45 डिग्री से 65 डिग्री अक्षांशों के बीच होता है।
उपोष्णकटिबंधीय पछुआ जेट स्ट्रीम-इनका विस्तार 20 डिग्री से 40 डिग्री अक्षांशों के बीच होता है। यह भारतीय मानसून को प्रभावित करते हैं।
उष्णकटिबंधीय पूर्वी जेट स्ट्रीम- यह एक अस्थाई जेट स्ट्रीम है जो ग्रीष्म काल में दक्षिण एशिया के ऊपर बहती है। भारत में दक्षिणी-पश्चिमी मानसून के उद्भव में इनकी महत्वपूर्ण भूमिका है।
Answer:
जेट स्ट्रीम या जेटधाराएँ ऊपरी वायुमंडल में और विशेषकर समतापमंडल में तेज़ गति से प्रवाहित/बहने वाली हवाएँ हैं. इनके प्रवाह की दिशा जलधाराओं की तरह ही होती है, इसलिए इसे जेट स्ट्रीम के नाम से जाना जाता है।
इसे हम विस्तार में भी समझ सकते है आइये इसके बारे में जानते है :
इसके प्रकार इस पोरकर है
1 पछुआ (पश्चिमी) जेट स्ट्रीम – 20° से 35° North
2 पूर्वी जेट स्ट्रीम – 8° से 35° North
पश्चिमी जेट स्ट्रीम:
यह स्थाई जेट स्ट्रीम है. यह सालों भर चलता है. इसके प्रवाह की दिशा पश्चिमोत्तर भारत से लेकर दक्षिण पूर्व भारत की ओर होती है. पश्चिमी jet stream का सम्बन्ध सूखी, शांत और शुष्क हवाओं से है. यह शीतकाल की आंशिक वर्षा के लिए उत्तरदाई है.
पूर्वी जेट स्ट्रीम
पश्चिमी जेट स्ट्रीम के ठीक विपरीत पूर्वी जेट स्ट्रीम की दिशा दक्षिण-पूर्व से लेकर पश्चिमोत्तर भारत की ओर है. यह अस्थाई है और इसका प्रभाव जुलाई, अगस्त, सितम्बर में ही देखा जा सकता है. पूर्वी जेट स्ट्रीम भारत में मूसलाधार वर्षा के लिए उत्तरदाई है. जैसा कि वैज्ञानिकों का अनुमान है, सम्पूर्ण भारत में जितनी भी वर्षा होती है उसका 74% हिस्सा जून से सितम्बर महीने तक होता है यह पूर्वी जेट से ही संभव हो पाता है.
पूर्वी जेट स्ट्रीम:
पूर्वी जेट हवा गर्म होती है. इसलिए, इसके प्रभाव से सतह की हवा गर्म होने लगती है और गर्म होकर तेजी से ऊपर उठने लगती है. इससे पश्चिमोत्तर-भारत सहित पूरे भारत में एक निम्न वायुदाब का क्षेत्र बन जाता है. इस निम्न वायुदाब क्षेत्र की ओर अरब सागर से नमीयुक्त उच्च वायुदाब की हवाएँ चलती हैं. अरब सागर से चलने वाली यही नमीयुक्त हवा भारत में दक्षिण-पश्चिमी मानसून के नाम से भी जाना जाता है.