जातिवादी प्रताप राणा नौलखा मास्टर गवनवा अगला मैच का अर्थ क्या है
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मेवाड़ के राजचिह्न में महाराणा प्रताप राजपूत और भील राणा पूंजा अंकित है ।
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इस काल के कवियों में स्वतंत सुखी और परहित का अभाव है . राम और कृष्ण की प्रेम लीलाओं की ओट में कविगण श्रृंगार वर्णन ,ऋतू वर्णन ,नख शिख वर्णन आदि पर कविता लिखकर आचार्यत्व और पांडित्यपूर्ण की होड़ में लगे हुए थे . ... इस काल में अलंकार ,रस ,नायिका भेद ,नख शिख वर्णन छंद आदि काव्यांगों पर प्रचुर रचना हुई है .
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