जातियों में प्रतियोगिता का प्रभाव पर टिप्पणी
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जातियों में प्रतियोगित का प्रभाव...
जातियों में प्रतियोगिता प्रभाव से तात्पर्य दो या दो से अधिक जातियों के बीच सीमित संसाधनों पर अधिकार और पहले प्राप्ति के लिये संघर्ष से है।
प्रकृति में जितने भी संसाधन हैं, जो भोजन, जल, पदार्थ, आवास, ऊर्जा आदि होते हैं, यह सभी सीमित मात्रा में उपलब्ध हैं। इन सभी संसाधनों के को प्राप्त करने के लिए जातियों के बीच संघर्ष होता है। एक जाति इन संसाधनों पर पहला अधिकार पाने के लिए दूसरी जाति को नुकसान पहुंचाने का प्रयत्न करती हैं। यही संघर्ष जातियों में प्रतियोगिता प्रभाव कहलाता है।
प्रतियोगिता प्रभाव एक तरह का ऋणात्मक संबंध है, क्योंकि इसमें एक जाति दूसरी जाति को नुकसान पहुंचाने का प्रयत्न करती है और उपलब्ध संसाधनों पर अपना पहला अधिकार जताने की कोशिश करती है।
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