Hindi, asked by saritaagnihotri11181, 1 month ago

जिदंगी को ठीक से जीना हमेशा ही जोखिम झेलना है और जो आदमी सकशल जीने के लिए जोखिम वाले हर जगह पर एक घेरा डालता है, वह अंततः अपने ही घेरों के बीच कैद हो जाता है और जिंदगी का कोई मजा उसे नहीं मिल पाता; क्योंकि जोखिम से बचने की कोशिश में, असल में, उसने जिंदगी को ही आने से रोक रखा है। जिंदगी से, अंत में, हम उतना ही पाते हैं जितनी कि उसमें पूँजी लगाते हैं। यह पूँजी लगाना जिंदगी के संकटों का सामना करना है, उसके उस पन्ने को उलट कर पढ़ना है जिसके सभी अक्षर फूलों से नहीं, कुछ अंगारों से भी लिखे गए हैं। जिंदगी का भेद कुछ उसे ही मालूम है जो यह मानकर चलता है कि जिंदगी कभी भी खत्म न होने वाली चीज है। अरे! ओ जीवन के साधको! अगर किनारे की मरी हुई सीपियों से ही तुम्हें संतोष हो जाए तो समुद्र के अंतराल में छिपे हुए मौक्तिक-कोष को कौन बाहर लाएगा? कामना का अंचल छोटा मत करो, जिंदगी के फल को दोनों हाथों से दबाकर निचोड़ो, रस की निझरी तुम्हारे बहाए भी बह सकती है।

(क) उपर्युक्त गदयांश में जिंदगी को ठीक ढंग से जीने के जो उपाय बताए गए हैं, उनमें से किन्हीं दो का उल्लेख कीजिए। 2

(ख) गदयांश में जीवन के साधकों को क्या चुनौती दी गई है? स्पष्ट कीजिए। 2

(ग) जिंदगी के सभी अक्षर फूलों से नहीं, कुछ अंगारों से भी लिखे गए हैं। स्पष्ट करें। 2

(घ) गदयांश के अनुसार जिंदगी का भेद किसे मालूम है और कैसे? 2
(ङ) इस गदयांश का उपयुक्त शीर्षक लिखिए। 1
(च) उपसर्ग बताइए-सकुशल, संतोष। 1​

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Answered by rk9636517368
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Answer:

गदंयाश का उचित शीर्षक जीवन की कठिन चुनौतियां हैं!

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