जादूगर की आत्मकथा
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जादूगर हमारी तरह ही आम इंसान होता हैं जिसके हाथ की सफाई के कारण वह विभिन्न तरह के छोटे छोटे खेल दिखाता हैं, वह जादू की छड़ी यानी एक छोटी सी लकड़ी के टुकड़े की मदद से सभी कार्य करता हैं. यह व्यक्ति उन जादू टोने करने वाले तांत्रिकों से अलग होता हैं जिसकें पास ब्लेक मैजिक जैसी कोई वस्तु नहीं होती हैं यह केवल खेल दिखाकर अपनी आजीविका कमाता हैं.
एक जादूगर को सड़क किनारे या बाजार के अधिक भीड़भाड़ वाले स्थलों पर देखा जा सकता हैं. ये मेले के आयोजनों का लाभ भी उठाते हैं. पायजामा ढीला कुर्ता और एक चद्दर इनकी वेशभूषा को दर्शाते हैं. अमूमन जादूगर के खेल के अधिक शौकीन बच्चें होते हैं स्कूलों के पास यह अपनी प्रदर्शनी लगाकर तरह तरह के जादू दिखाता हैं.
जादूगर ऐसे स्थान को अपना जादू दिखाने के लिए चुनता है जहाँ 20-25 लोग आसानी से घेरा लगाकर खड़े हो जाते हैं. बांसुरी और डमरू इनके सहायक साधन है वह अपना खेल शुरू करने से पूर्व इन्हें कई बार बजाता हैं, बच्चें इसकी आवाज सुनकर समझ जाते है कि कोई जादूगर है और उसका खेल देखने के लिए भागे आते हैं.
दुनियां के कई देशों में भारतीय जादूगर अपनी अनूठी कलाओं के लिए जाने जाते हैं. ये पीतल की एक बेल्ट को बारी बारी से उछालकर बड़ी चतुराई से पकड़ लेता है, इसका खेल 15 से 20 मिनट में समाप्त हो जाता हैं. खरगोश, कबूतर, सांप जैसे जानवर तथा ताश के पत्तों के साथ अमूमन जादूगर अपना खेल दिखाता हैं.
वह अपना खेल शुरू करने से पूर्व लोगों से विनम्रतापूर्वक कई बार विनती करता है कि वे खेल को खराब न करे यह उसकी रोजी रोटी का सवाल हैं. इस तरह वह भावनात्मक सम्बन्ध स्थापित कर लेता हैं. दर्शक लगातार उसके खेल को टकटकी लगाकर देखते हैं. शायद बहुत कम या बिना गलती किये वह अपना खेल पूरा कर लेता है तथा लोगों से पांच दस रूपये मांगता हैं. सर्कस में भी जादूगर होते है जो सड़क किनारे जादू दिखाने वाले आम जादूगरों के बेहतरीन श्रेणी के खेल दिखाकर दर्शकों का मन मोह लेता हैं.
पिछले सप्ताह में बाजार गया, सड़क के पास ही कुछ लोग इकट्ठे थे, मैंने जाकर देखा तो एक जादूगर कुछ खेल दिखा रहा था, मेरे पैर भी वही रूक गये. उसने डमरू बजाते हुए अपना खेल शुरू किया और अपने पास से कुछ गोल गेंदे लेकर हवा में उछालने लगा. बस फिर क्या था वह एक गेंद पकड़ता और दो फेकता ऊपर हर ओर गेंद घूम रही थी, मगर एक भी नीचे नहीं गिर रही थी.
उसने अपना दूसरा जादू दिखाने के लिए मेरे आगे खड़े व्यक्ति को अपनी अनूठी देने को कहा, उन्होंने अनूठी दी. जादूगर ने उसे अपने हाथ से हथोड़े से तोड़ कर फेक दी. जब व्यक्ति ने अनूठी वापस मांगी तो वह बोला साहब मैं चोर नहीं हूँ, आपकी अनूठी आपकी जेब में ही हैं. जब उसने पेंट की जेब में हाथ डाला तो सब हैरान थे, अनूठी उन महाशय की जेब से निकली, यह कैसे हुआ मुझे कुछ समझ नहीं आया.
कई बार वह भयानक कला दिखाता है जिसे देखकर रूह तक काँप जाती हैं. बच्चें के सिर को धड़ से अलग करना, ब्लेड से चीरा लगाना, लोहें की छड को निगल जाना जैसे खेल अंदर तक दर्शकों को हिला देते हैं. इन खेलों में वह कुछ रासायनिक सामग्री व तत्वों का उपयोग कर हकीकत स्वरूप दे देता हैं. बहरहाल जो भी हो, हमें उसकी कला और मेहनत को सम्मान देना चाहिए, वह भीख मांगने की बजाय लोगों के मनोरंजन के जरिये अपना पेट भरता हैं.