जेठ हो कि हो पूस, हमारे कृषकों को आराम नहीं है है कभी संग बैलों का ऐसा कोई याम नहीं है मुख में जीभ, शक्ति भुजा में, जीवन में सुख का नाम नहीं है वसन कहाँ? सूखी रोटी भी मिलती दोनों शाम नहीं है बैलों के ये बंधू वर्ष भर क्या जाने कैसे जीते हैं बंधी जीभ, आँखें विषम गम खा शायद ऑस् पीते है पर शिशु का क्या, सोखन पाया अभी जो औसूचीमा घूस-चूस सूखा स्तन माँ का, सो जाता री-बिलप नगोना विवश देखती माँ आँचल से नन्हीं तड़प उड़ जाती अपना रक्त पिला देती यदि फटती आज बज की खाती दूध-दूध दुनिया सोती है लाऊँ दूध कहाँ किस घर से दूध-दूध हे देव गगन के कुछ बूंद टपका अंबर से|
प्रश्न 1, बैलों के बंधु कौन है?
प्रश्न2, कृषक के जीवन में किनका अभाव है?
प्रश्न 3.मां भगवान से क्या प्रार्थना कर रही है?
प्रश्न 4. 'माँ' का एक पर्यायवाची शब्द लिखिए।
5. उपयुक्त पद्यांश के लिए एक उपयुक्त शिक्षक लिखिए |
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1) किसान
2)कृषक के जीवन में बैलं तथा शेती का अभाव है
4) जननी,माता
5) किसान की जीवन गाथा
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