'जादू टूटता है इस उषा का अब
सूर्योदय हो रहा है |व्याख्या कीजिए |
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उषाकाल में प्राकृतिक रंग अपने संदर्भ के विविध रूपों में प्रदर्शित करता है आकाश अपने रंग रूप में प्रतिष्ठा में परिवर्तित कर रहा होता सूर्योदय के बाद आकाश में सूर्य की तेज किरणों छिटक कर अपना प्रकाश बिखेर देती है जिसके प्रभाव से आकाश का नीला रंग मिट जाता है उसकी आद्रता सप्ताह में परिवर्तित हो जाती इस प्रकार उषा का सम्मोहन अर्थात जादू टूटने लगता है
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