जाड़े के दिन थे और रात का समय था । नमक
के सिपाही, चौकीदार सभी निद्रा में मस्त थे। मुंशी
वंशीधर को यहाँ आए अभी छह महीने से अधिक न
हुए थे लेकिन इस थोड़े से समय में ही उन्होंने अपनी
कार्य कुशलता और उत्तम आचार से अफसरों को
मोहित कर लिया था। अफसर लोग उन पर बहुत
विश्वास करने लगे थे। नमक के दफ्तर से एक मील
पूर्व की ओर जमुना बहती थी, उस पर नाव का पुल
बना हुआ था । दारोगा जी किवाड़ बंद किए मीठी
नींद सो रहे थे। अचानक आँख खुली तो नदी के
प्रवाह की जगह गाड़ियों की गड़गड़ाहट तथा
मल्लाहों का कोलाहल सुनाई दिया। उठ बैठे। इतनी
रात गए गाड़ियाँ के पार क्यों जाती हैं ? अवश्य कुछ
गोलमाल है। वरदी पहनी जेब में रखा और बात ही
बात में घोड़ा बढ़ाए हुए पुल पर आ पहुँचे । गाड़ियों
की एक लंबी कतार पुल के पार जाती देखी । डाँटकर
पूछा -किसकी गाड़ियाँ हैं ?
गद्यांश को पढ़े तथा प्रश्नों के उत्तर दें -
(i) यहाँ किस मौसम की बात हो रही है ?
(ii) दारोगा का नाम क्या था?
(iii) उस समय दारोगा जी क्या कर रहे थे ?
(iv) वंशीधर को वहाँ काम करते कितने दिन
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Explanation:
जाड़े ka mousam
मुंशी वंशीधर
daroga ji so raha tha
namak ka daftar me kam
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Answer:
- जाड़े के दिन थे और रात का समय। नमक के सिपाही तथा चौकीदार नशे में मस्त थे।
- मुंशी वंशीधर को यहाँ आए अभी छह महीनों से अधिक न हुए थे लेकिन इन थोड़े समय में ही उन्होंने अपनी कार्य कुशलता और उत्तम आचार से अफसरों को मोहित कर लिया था।
- ज़ार में आँवले के आकार के हरी लकीरवाले बढ़िया सफ़ेद गोल कंचे थे। कंचे इतने खूबसूरत थे कि अप्पू उन्हें देखते ही उनकी ओर आकर्षित हो गया।
- दुकान में अलमारी में काँच के बड़े-बड़े जार कतार में रखे हुए थे। उनमे चॉकलेट, पिपरमिंट और बिस्किट थे।
Explanation:
- अफसर लोग उन पर बहुत विश्वास करने लगे थे। नमक के दफ्तर से एक मील पूर्व की ओर जमुना बहती थी, उस पर नावों का एक पुल बना हुआ था। दरोगा जी किवाड़ बंद किए मीठी नींद से सो रहे थे।
- अचानक आँख खुली तो नदी के प्रवाह की जगह गाड़ियों की गड़गड़ाहट तथा मल्लाहों का कोलाहल सुनाई दिया।
#SPJ2
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