“जाड़ा क्या है, मौत है और निमोनिया से मरनेवालों को मुरब्बे नहीं मिला करते ।" वजीरा
सिंह के इस कथन का क्या आशय है ?
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“जाड़ा क्या है, मौत है और निमोनिया से मरनेवालों को मुरब्बे नहीं मिला करते ।"
यह कथन चंद्रधर शर्मा गुलेरी द्वारा लिखी गयी 'उसने कहा था' कहानी से ली गई है.
वजीरा सिंह के इस कथन का आशय यह है कि अगर किसी को निमोनिया हो जाए तो उसका बच पाना मुश्किल है. वजीरा सिंह ये कथन अपने साथी फ़ौजियों से कह रहा है.
ये वार्तालाप जर्मन के विरुद्ध युद्ध में लड़ते कुछ फ़ौजियों के बीच हो रही है. साथी बोध सिंह के तबियत का ज़िक्र आने पर वजीरा सिंह ने कहा की निमोनिया में मौत ही आती है और मौत कोई मुरब्बे अर्थात अच्छी वस्तु मिलने जितनी सुखदायक बात नहीं इसलिए निमोनिया से पीड़ित बोध सिंह की तबियत कोई अच्छी या सुखदायक नहीं ही होगी। मुरब्बे शब्द के प्रयोग से यहाँ मात्र तुलना के लिए किया गया है जो की आम बोलचाल में प्रयोग होता है.
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