Hindi, asked by savlarampatelsavlara, 8 months ago

जिड़ा सभी को मिली है, किंतु उचित बोलना बहुत कम लोग जानते हैं। प्रायः लोग कड़वी डाों में दूसरे की
सर्थ निंदा स्तुति में वाणी की सार्थकता समझते हैं। उन दिव्य पुरुषों की संख्यागुलियों पर ही गिनी जा
सकती है। जिनकी जिला में अमृतोपय मधुरता एवं हिम की सोशीतलता रहती है ऐसे लोगों की वाणी से
निराश जीवन को उत्साह मिलता है। नरक की यंत्रणा में छटपटाने वाले को धैर्य और जाासन मिलता है।
व्यक्तित्व का परिचय देने में वाणी प्रथम है, क्योंकि अन्य गुण तो साथ रहने पर धीरे-धीरे प्रकट होते हैं पर बागी
की गरिमा तत्काल प्रकट होती है।
इसके द्वारा सर्वधा अपरिचित को भी, थोड़े वार्तालाप में ही स्नेह और सहानुभूति के सूत्र में डॉधजा सकता है
दिव्य वाणी बोलने वाले के लिए संसार में चारों तरफ अमीर-गरीब, परिचित-अपरिचित सडकेदार स्वागत के
लिए खुले रहते हैं। उनके मान में लोग पलक पावड़े बिछा देते हैं। ऐसा समान छत्रधारी सवार होने पर भी
शायद ही कोई पा सकता है।
क) जिहा के बारे में क्या बताया गया है?
ख) कैसी स्तुति में वाणी को सार्थक समझा जाता है?
ग) आश्वासन और धैर्य के बारे में क्या कहा गया है?
घ) दिव्य वाणी बोलने वाले का क्या स्थान बताया गया है?
ङ) सम्राट से भी अधिक सम्मान किसको मिलता है?
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Answers

Answered by kavyaaa0107
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Explanation:

very hard

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