जीव जंतुओं को पालतू उचित या अनुचित विषय को आधार मानते हुए कहानी लेखन कीजिए
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- जीव जंतु हमारे लिए उपकारी है, जीव जंतुओं का महत्व।
प्रस्तावना: जीव-जंतु मानव जाती के लिए सदैव से ही उपकारी है। और वो हमेशा ही मनुष्य को किसी न किसी प्रकार से सुख सुविधा प्रदान करता है। हमारी धरती पर लगभग जीव जंतु की 87 लाख प्रजातिया है। और तो और कुछ की पह्चान होना अभी भी बाकि है और कुछ लुप्त होती जा रही है। और जो है उनमे से पालतू जीव हमारे लिए बोहोत अधिक महत्व रखते है। पी.एल.ओ.एस.बायोलॉजी में ही छपे एक लेख में रॉयल सोसायटी के पूर्व अध्यक्ष लॉर्ड राबर्ट में लिखते है ,” मानवता का अपने प्रति प्यार तो देखिये की हम यह बता सकते है। की अमरीकी कांग्रेस की लाइब्रेरी में एक फरवरी 2011 के दिन ,22,194.656 किताबे है लेकिन ये निश्चित रूप से नहीं कह सकते की दुनिया में कितने प्रकार के जीव जंतु है। “
हमारा जीवन और जीव जंतु का जीवन एक प्रतिरक्षण चक्र हैं
पृथ्वी पोधो का पोषण करती है और पौधे, कीटो, पक्षियो तथा जंगली पशुओ को पोषित करते है। दूसरी और मृत पशु गिद्ध का भोजन बनते है। मृत गिद्ध पृथ्वी में समाकर कीटो का भोजन बनती है और जो मृत कीड़े मकोड़े होते है। वो पोधो का खाद ( भोजन )बन जाते है और वृक्ष अपनी आयु पूरी करके फिर से उसी पृथ्वी में समा जाते है। इस प्रकार मनुष्य इन सब वस्तुओ को अपने काम में लाता है और वो एक दिन स्वम इसमें लीन हो जाता है अन्तः इन्ही का शिकार बनता है अतः ए जीवन का एक एसा चक्र है जिसमे सभी अपनी – अपनी भूमिका अदा करते है और इसे ये स्पस्ट हो जाता है .की ये एक दूसरे केए प्रत्न है जीवन का ये प्रतिरक्षण चक्र हमारे जीवन के लिए आवशयक भी है क्युकी मनुष्य और जिव जंतु एक दूसरे पर बहुत अधिक निर्भर है और इस चक्र में अपना – अपना योगदान देते है और ये जीवन प्रतिरक्षरण चक्र चलता रहता है।
हमारे जीवन में बहुत अधिक मत्वपूर्ण योगदान देने वाले कुछ पालतू पशुओं के नाम इस प्रकार है।
घोड़े, खच्चर, ऊठ, भेड़, बैल, गाय, मधुमक्खी, मछली, मेमने, कुत्ते, बिल्ली, खरगोश, इस प्रकार इन पालतू पशुओ को हम पालकर हमारा जीवन यापन करते है। इस प्रकार इन पालतू पशुओ की गिनती करे तो शायद कमी पड़ जाए क्युकी अभी भी ऐसे पालतू पशु और भी है जिनका जिक्र हमने इसमें नहीं करा जो मनुष्य के जीवन में बहुत महतपूर्ण योगदान प्रदान करते है।
इनमे अब हम उन छोटे पशुओं का योगदान देखेंगे की वो मनुष्य के लिए किस प्रकार उपकार है।
जैसे मुर्गिया, मुर्गिया अण्डे देती है जिसका प्रयोग हमारे देश में इसे खाकर ही करते है और इस्से लाखो का व्यपार इसे बेच कर उपयोग करने वाले इसका उपयोग करते है, मुर्गी के अंडे और उसका मांस बड़े चाव से माँसाहारी लोग कहते है और हमारे देश में इसका व्यपार भी करा जाता है जिसे कई घर चलते है, मुर्गा की बांग के बारे में तो कहानी और किताबो में हम अक्सर पड़ा ही होगा की लाखो साल पहले जब घड़ियाँ नहीं होती थी उस समय ये मुर्गा ही घड़ी का काम करता था। इसका बांग सुनकर प्रातःकाल में हमें जगाने का काम करता था। और ये सालो से चली आ रही परम्परा अभी भी जारी है।