जीव जगत में जीवन संघर्ष होता है। यह किस वैज्ञानिक का मत है? स्पष्ट कीजिये।
Answers
जगत के समुचित अध्ययन के
लिये आवश्यक है कि विभिन्न गुणधर्म एवं विशेषताओं वाले जीव अलग-अलग श्रेणियों में रखे जाऐं। इस तरह से जन्तुओं एवं पादपों के वर्गीकरण को वर्गिकी या वर्गीकरण विज्ञान अंग्रेजी में वर्गिकी के लिये दो शब्द प्रयोग में लाये जाते हैं - टैक्सोनॉमी तथा सिस्टेमैटिक्स । कार्ल लीनियस ने 1735 ई. में सिस्तेमा नातूरै नामक पुस्तक सिस्टेमैटिक्स शब्द के आधार पर लिखी थी।[1] आधुनिक युग में ये दोनों शब्द पादप और जंतु वर्गीकरण के लिए प्रयुक्त होते हैं।
वर्गिकी का कार्य आकारिकी, आकृतिविज्ञान क्रियाविज्ञान, परिस्थितिकी और आनुवंशिकी पर आधारित है। अन्य वैज्ञानिक अनुशासनों की तरह यह भी अनेक प्रकार के ज्ञान, मत और प्रणालियों का सश्लेषण है, जिसका प्रयोग वर्गीकरण के क्षेत्र में होता है। जीवविज्ञान संबंधी किसी प्रकार के विश्लेषण का प्रथम सोपान है सुव्यवस्थित ढंग से उसका वर्गीकरण; अत: पादप, या जंतु के अध्ययन का पहला कदम है उसका नामकरण, वर्गीकरण और तब वर्णन।
जगत के समुचित अध्ययन के
लिये आवश्यक है कि विभिन्न गुणधर्म एवं विशेषताओं वाले जीव अलग-अलग श्रेणियों में रखे जाऐं। इस तरह से जन्तुओं एवं पादपों के वर्गीकरण को वर्गिकी या वर्गीकरण विज्ञान अंग्रेजी में वर्गिकी के लिये दो शब्द प्रयोग में लाये जाते हैं - टैक्सोनॉमी तथा सिस्टेमैटिक्स । कार्ल लीनियस ने 1735 ई. में सिस्तेमा नातूरै नामक पुस्तक सिस्टेमैटिक्स शब्द के आधार पर लिखी थी।आधुनिक युग में ये दोनों शब्द पादप और जंतु वर्गीकरण के लिए प्रयुक्त होते हैं।
वर्गिकी का कार्य आकारिकी, आकृतिविज्ञान क्रियाविज्ञान परिस्थितिकी और आनुवंशिकी पर आधारित है। अन्य वैज्ञानिक अनुशासनों की तरह यह भी अनेक प्रकार के ज्ञान, मत और प्रणालियों का सश्लेषण है, जिसका प्रयोग वर्गीकरण के क्षेत्र में होता है। जीवविज्ञान संबंधी किसी प्रकार के विश्लेषण का प्रथम सोपान है सुव्यवस्थित ढंग से उसका वर्गीकरण; अत: पादप, या जंतु के अध्ययन का पहला कदम है उसका नामकरण, वर्गीकरण और तब वर्णन।