Social Sciences, asked by sumitshahare44, 7 months ago

२) ज्वालामुखी हि संकल्पना स्पष्ट करा.​

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Answered by aayush1203singh
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एक पर्यावरणीय आपत्ती. भूअंतरंगातून भूपृष्ठाकडे किंवा भूपृष्ठावर होणाऱ्या तप्त पदार्थांच्या हालचाली. या हालचालींमुळे भूकवचाखालील घन, द्रव आणि वायू पदार्थ भूकवचाकडे किंवा भूपृष्ठावर ढकलले जातात. याला ज्वालामुखी क्रिया म्हणतात.

पृथ्वीचा अंतर्भाग अत्यंत उष्ण आहे. भूपृष्ठाचा खडकावरील दाब कमी झाल्यास अतिउष्णतेमुळे खडक वितळून शिलारस तयार होतो. या शिलारसात अनेक वायू असतात. शिलारस खडकांना भेगा पाडून तो जमिनीवर साठतो. त्यामुळे शिलारसातील वायू वातावरणात मिसळतात. वायू बाहेर पडलेला शिलारस लाव्हारस म्हणून ओळखला जातो.

Answered by dipamstar9430
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ज्वालामुखी पृथ्वी की सतह पर उपस्थित ऐसी दरार या मुख होता है जिससे पृथ्वी के भीतर का गर्म लावा, गैस, राख आदि बाहर आते हैं।[1] वस्तुतः यह पृथ्वी की ऊपरी परत में एक विभंग (rupture) होता है जिसके द्वारा अन्दर के पदार्थ बाहर निकलते हैं। ज्वालामुखी द्वारा निःसृत इन पदार्थों के जमा हो जाने से निर्मित शंक्वाकार स्थलरूप को ज्वालामुखी पर्वत कहा जाता है।

ज्वालामुखी का सम्बंध प्लेट विवर्तनिकी से है क्योंकि यह पाया गया है कि बहुधा ये प्लेटों की सीमाओं के सहारे पाए जाते हैं क्योंकि प्लेट सीमाएँ पृथ्वी की ऊपरी परत में विभंग उत्पन्न होने हेतु कमजोर स्थल उपलब्ध करा देती हैं। इसके अलावा कुछ अन्य स्थलों पर भी ज्वालामुखी पाए जाते हैं जिनकी उत्पत्ति मैंटल प्लूम से मानी जाती है और ऐसे स्थलों को हॉटस्पॉट की संज्ञा दी जाती है।

भू-आकृति विज्ञान में ज्वालामुखी को आकस्मिक घटना के रूप में देखा जाता है और पृथ्वी की सतह पर परिवर्तन लाने वाले बलों में इसे रचनात्मक बल के रूप में वर्गीकृत किया जाता है क्योंकि इनसे कई स्थलरूपों का निर्माण होता है। वहीं, दूसरी ओर पर्यावरण भूगोल इनका अध्ययन एक प्राकृतिक आपदा के रूप में करता है क्योंकि इससे पारितंत्र और जान-माल का नुकसान होता है।

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